फिर मुझे पुकारा है.....
तेरी चाहत ने, तेरी आहट ने
तेरी आवाज़ ने, दिल के साज़ ने
तेरी धड़कन ने, तेरी उलझन ने
तेरी साँसों ने, तेरे अश्कों ने
तेरी आँखों ने, तेरे होंठों ने
तेरे हाथों के गरम छूने ने
तेरी याद ने, तेरी हसरत ने
तेरे प्यार ने, तेरी उल्फत ने
तेरे दर्द ने, तेरे ज़ख़्म ने
तेरे हसीन ख्यालों के वहम ने
तेरी हंसी ने, तेरे रोने ने
मेरे ज़हन में तेरे होने ने
तेरी आँखों की मधुर मुस्कान ने
तेरे दिल में उमढ़ते तूफ़ान ने
तेरी आहों ने, तेरी राहों ने,
मेरे आगोश में उलझी बाहों ने
तेरे लबों से थिरकते गीत ने,
जो मिल के बनाया उस अतीत ने
उन वादीयों ने जो हमारे संग बहकती थी
उस कोयल ने जो हमें देख चहकती थी
उन फूलों ने जिस में तेरे प्यार का रंग था
उन हवाओं ने जिनका हमें संग था
उन बातों ने जो कभी ना होती थी खत्म
उस अदा ने जिसने ढाया था मुझपे सितम
तेरी मस्ती ने, तेरी हस्ती ने,
तेरी गलियों ने, तेरी बसती ने
तेरी खुशबु ने, तेरे खवाब ने
ऐ मेरे चाँद, तेरी माहताब ने
हर तरफ शोर है, फुसफुसाहट है
हर तरफ तेरे क़दमों की ही आहट है
मेरा बस एक ही सवाल तुझसे है रूबरू:
"किस की मैं सुनूँ और किस की ना सुनूँ?"
तेरी चाहत ने, तेरी आहट ने
तेरी आवाज़ ने, दिल के साज़ ने
तेरी धड़कन ने, तेरी उलझन ने
तेरी साँसों ने, तेरे अश्कों ने
तेरी आँखों ने, तेरे होंठों ने
तेरे हाथों के गरम छूने ने
तेरी याद ने, तेरी हसरत ने
तेरे प्यार ने, तेरी उल्फत ने
तेरे दर्द ने, तेरे ज़ख़्म ने
तेरे हसीन ख्यालों के वहम ने
तेरी हंसी ने, तेरे रोने ने
मेरे ज़हन में तेरे होने ने
तेरी आँखों की मधुर मुस्कान ने
तेरे दिल में उमढ़ते तूफ़ान ने
तेरी आहों ने, तेरी राहों ने,
मेरे आगोश में उलझी बाहों ने
तेरे लबों से थिरकते गीत ने,
जो मिल के बनाया उस अतीत ने
उन वादीयों ने जो हमारे संग बहकती थी
उस कोयल ने जो हमें देख चहकती थी
उन फूलों ने जिस में तेरे प्यार का रंग था
उन हवाओं ने जिनका हमें संग था
उन बातों ने जो कभी ना होती थी खत्म
उस अदा ने जिसने ढाया था मुझपे सितम
तेरी मस्ती ने, तेरी हस्ती ने,
तेरी गलियों ने, तेरी बसती ने
तेरी खुशबु ने, तेरे खवाब ने
ऐ मेरे चाँद, तेरी माहताब ने
छाया: scenicreflections.com |
हर तरफ शोर है, फुसफुसाहट है
हर तरफ तेरे क़दमों की ही आहट है
मेरा बस एक ही सवाल तुझसे है रूबरू:
"किस की मैं सुनूँ और किस की ना सुनूँ?"
...arey waah kyaa jalwaa hai! ...beautiful Ravi..so romantic:)
ReplyDeleteअमित जी,
Deleteहम नहीं पहुँच सकते आपकी गहराईयों में,
पर साहिल पे खड़े कब तक नज़ारा देखेंगे?
Are yaar, kabhi apni to sun?
ReplyDeleteभावना जी,
Deleteउनकी सुनते कुच्छ ऐसी आदत पड़ गई है,
के अपने लिए वक़्त ही कहाँ मिलता है?
beautiful Ravi.
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