Tuesday, 17 July 2012

बीवी का नया नाम

हम बीवी को बुलाते थे जान, चाँद, सनम और रानी
पर एक दिन सर के ऊपर से निकल गया पानी
नाम हमारे दिमाग में आये चार सौ अस्सी
और बीवी का नाम बड़े सोच के रखा "रस्सी"

कया अजब नाम है?  सोचा होगा आपने
आज तक ऐसा नाम नहीं रखा किसी के  बाप ने
"इसके क्या माईने हैं कुछ तो ससमझाईये
हमें  बुझारतों में इस तरह ना उलझायिये"

हमने कहा, "इसमें बुझारत की क्या बात है?
"रस्सी" का मतलब बिलकुल साक्षात है:
यह जल जाती है पेर बल नहीं जाता
हमारी मेहबूबा का भी कल नहीं जाता"

"वो कल जब माईके में उन्का राज था
भाई काम करते थे और इनको ना कोई काज था
अब पति करता है  दिन रात इनकी सेवा
और ये खाती हैं मखमल पर बैठ के मेवा"

"मेरी गरदन में बड़े प्यार से पड़ जाती है
अच्छे भले मुलाजिम की जान निकल जाती है
हुमने सोचा था यह बनेगीं प्यार की डोरी
पर इन्हों ने रस्सी बनके की जोरा  जोरी"

 
Courtesy: heysko.com

यारो अगर बीवी भी बन जाये गले में फंदा
और तुम रहना चाह्ते हो इस जहान में ज़िन्दा 
डोरी को कभी ना बनने दो रस्सी या संगल
तभी रहेंगे तुम्हारे  दिन व रात मंगल  

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