Hasya Panktiyan of the Day #37
कुछ इस तरह से बने हैं हमारे आपसी हालात,
हर मुलाक़ात बन के रह जाती है मुक्का लात।
मुझे याद है वह प्यार के सुहाने नए दिन,
पता न था कब सहर होती थी कब रात।
तू तू मैं मैं, मैं मैं तू तू से अब दिन शुरू होता है,
हर वक़्त गर्म रहते हैं अंदरूनी जज़्बात।
जहाँ हंसी का आलम था अब मायूसी छायी है,
प्यार मिलता है उनसे जैसे हो खैरात।
पड़ोसी रोज़ ही मुफ्त तमाशा देखते हैं,
जैसे हम दो और वह हमारी बारात।
लगता है कुश्ती और बॉक्सिंग में गोल्ड मैडल जीतेंगे,
वह Mary Kom और मैं Dara Singh साक्षात।
कहते हैं शादियां जन्नत में तय होती हैं,
हमारी में तो तबाह हो गयी सारी कायनात।
अब तो इंतज़ार है क़यामत की घड़ी का,
उनसे और ज़िंदगी से तो मिली है सिर्फ मात।
कुछ इस तरह से बने हैं हमारे आपसी हालात,
हर मुलाक़ात बन के रह जाती है मुक्का लात।
मुझे याद है वह प्यार के सुहाने नए दिन,
पता न था कब सहर होती थी कब रात।
तू तू मैं मैं, मैं मैं तू तू से अब दिन शुरू होता है,
हर वक़्त गर्म रहते हैं अंदरूनी जज़्बात।
जहाँ हंसी का आलम था अब मायूसी छायी है,
प्यार मिलता है उनसे जैसे हो खैरात।
पड़ोसी रोज़ ही मुफ्त तमाशा देखते हैं,
जैसे हम दो और वह हमारी बारात।
(Clipart courtesy: Utterly Organised) |
लगता है कुश्ती और बॉक्सिंग में गोल्ड मैडल जीतेंगे,
वह Mary Kom और मैं Dara Singh साक्षात।
कहते हैं शादियां जन्नत में तय होती हैं,
हमारी में तो तबाह हो गयी सारी कायनात।
अब तो इंतज़ार है क़यामत की घड़ी का,
उनसे और ज़िंदगी से तो मिली है सिर्फ मात।