Friday, 2 March 2018

RADHE KRISHNA HOLI

"मैया" कन्हैया बोले यशोदा से,
"राधा है गोरी, मैं हूँ काला"
यशोदा बोली, "ले रंग दे उसे भी
अपने ही रंग में गोपाला"।

इस तरह शुरू हुआ राधे कृष्ण से,
होली का पावन उपहार;
होली होलिका प्रह्लाद से तो है,
पर पहले है राधे कृष्ण का प्यार।


स्नेह का संदेश हम सबको,
मिला है अपने कन्हैया से;
होली में रंग लगाना सीखा है,
कृष्ण ने भी यशोदा मैय्या से।

आज होली में जब हाथों में है,
कई रंग का गुलाल,
कैसे भूल सकते हैं हम अपने
सबसे प्रिय नंद के लाल?

होली के दिन मत भूलो,
हर पुरुष है कृष्ण की छवि;
रंग से वह है ऐसे जुड़ा है,
जैसे रचना से है कवि।

इसे न समझे तो होली का
अर्थ रहेगा केवल आधा,
जैसे सोचो अधूरे हैं,
राधा बिन कृष्ण, कृष्ण बिन राधा।

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