i-Peg Poem of the Week #6
These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi's delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!
आज तो पीना है आज तो होली है,
हम यारों की एक पूरी टोली है।
बीवी सोचती है रंग गुलाल में होता है,
उसे क्या पता वह बड़ी भोली है।
हमारी बोतल में ऐसा भरा है रंग,
आंख में चड़ने से सब दिखता है रंगीन;
और साथ में गर हो दोस्तों का संग,
तो सारी दुनिया नज़र आती है हसीन।
लोग कहते हैं पीने वालों को चाहिए बहाना,
पर आज तो यारो रंग का त्योहार है;
हमें तो रंग से रचने पे भी नहीं है नहाना,
हमें अपने रंगीन होने से प्यार है।
होली मुबारक सब पीने वालों को,
आज पैमानों को जाने दो छलक;
होली मुबारक ज़मीं पे जीने वालों को,
आज हमारी मंज़िल है फलक।
These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi's delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!
आज तो पीना है आज तो होली है,
हम यारों की एक पूरी टोली है।
बीवी सोचती है रंग गुलाल में होता है,
उसे क्या पता वह बड़ी भोली है।
हमारी बोतल में ऐसा भरा है रंग,
आंख में चड़ने से सब दिखता है रंगीन;
और साथ में गर हो दोस्तों का संग,
तो सारी दुनिया नज़र आती है हसीन।
लोग कहते हैं पीने वालों को चाहिए बहाना,
पर आज तो यारो रंग का त्योहार है;
हमें तो रंग से रचने पे भी नहीं है नहाना,
हमें अपने रंगीन होने से प्यार है।
होली मुबारक सब पीने वालों को,
आज पैमानों को जाने दो छलक;
होली मुबारक ज़मीं पे जीने वालों को,
आज हमारी मंज़िल है फलक।
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